गणेश चतुर्थी 2024 तिथि: कब से शुरू होगा गणेश उत्सव? जानिए पूजा मुहूर्त, इतिहास और महत्व
गणेश चतुर्थी 2024 हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि हर साल गणेश अपने भक्तों के साथ रहने और उनके दुखों को दूर करने के लिए दस दिनों के लिए कैलाश से धरती पर उतरते हैं, जैसा की हमारे पुराणों में मिलता है ने बताया है। इन दस दिनों को गणेश उत्सव के रूप में मनाया जाता है, जो भव्य उत्सव और भक्ति का समय होता है।
गणेश चतुर्थी 2024 में 7 सितंबर को मनाई जाएगी, जो 10 दिवसीय गणेश महोत्सव की शुरुआत का प्रतीक है। उत्सव का समापन अनंत चतुर्दशी पर होगा, जो 17 सितंबर, 2024 को गणेश मूर्ति के विसर्जन के साथ होगा, जो उनके कैलाश लौटने का प्रतीक है।
गणेश मूर्ति स्थापित करने का मुहूर्त
घरों और पंडालों में गणेश मूर्ति स्थापित करने का शुभ समय पंचांग (हिंदू कैलेंडर) के अनुसार निर्धारित किया गया है। भाद्रपद माह की चतुर्थी तिथि 6 सितंबर 2024 को दोपहर 03:01 बजे शुरू होगी और 7 सितंबर 2024 को शाम 05:37 बजे समाप्त होगी। गणेश चतुर्थी 2024
गणेश चतुर्थी 2024 दोपहर के समय गणेश पूजा के लिए सबसे अनुकूल समय सुबह 11:10 बजे से दोपहर 01:39 बजे के बीच निर्धारित किया गया है, जो 2 घंटे 29 मिनट तक चलेगा। 17 सितंबर 2024 को गणेश विसर्जन होगा, जो उत्सव के समापन का प्रतीक होगा। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इस अवधि के दौरान, चंद्र दर्शन के लिए निषिद्ध समय है,
भारतीय कैलेंडर के अनुसार सुबह 09:28 बजे से रात 08:59 बजे तक होगा। इन दस दिनों के दौरान, भक्तों को पारंपरिक संगीत, जुलूस और विस्तृत सजावट के साथ पूरे सम्मान और उत्साह के साथ गणपति को अपने घरों में लाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। अनुष्ठान पूरी श्रद्धा के साथ किए जाते हैं, और त्योहार को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी 2024
10 दिवसीय गणेश उत्सव का महत्व
गणेश चतुर्थी 2024 उत्सव का 10 दिवसीय उत्सव प्राचीन शास्त्रों और पौराणिक कथाओं में निहित है। ऐसा माना जाता है कि गणेश चतुर्थी भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र गणपति की जयंती का प्रतीक है। एक लोकप्रिय पौराणिक कथा के अनुसार, ऋषि वेदव्यास ने एक बार भगवान गणेश को महाकाव्य महाभारत को लिखने के लिए बुलाया था।
जब ऋषि व्यास ने श्लोकों का पाठ किया, तो गणपति ने उन्हें बिना किसी रुकावट के लगातार दस दिनों तक लिखा, जिससे उनके अथक प्रयास से धूल की एक परत जमा हो गई। दसवें दिन, जिसे अनंत चतुर्दशी के रूप में जाना जाता है, भगवान गणेश ने सरस्वती नदी में स्नान किया और खुद को शुद्ध किया। माना जाता है कि इस घटना ने दस दिनों तक गणेश उत्सव मनाने की परंपरा स्थापित की।
गणेश चतुर्थी 2024 यह त्योहार न केवल भगवान गणेश के जन्म का स्मरण कराता है, बल्कि इसमें सावधानीपूर्वक पूजा और अनुष्ठान भी शामिल होते हैं, जिसके दौरान भक्तों का मानना है कि उनके सभी कार्य और प्रयास भगवान गणेश द्वारा सफलता का आशीर्वाद देते हैं। इस वर्ष, गणेश चतुर्थी 7 सितंबर, गणेश चतुर्थी 2024 को मनाई जाएगी, दुनिया भर के भक्त इस उत्सव में भाग लेंगे और समृद्धि, बुद्धि और खुशी के लिए भगवान गणेश का आशीर्वाद मांगेंगे।
गणेश चतुर्थी 2024 पूजा सामग्रियों की सूची
गणेश चतुर्थी 2024, जिसे विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है, भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। इस दिन घरों और मंदिरों में भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा की जाती है। पूजा के दौरान उपयोग होने वाली सामग्रियों की एक विशेष महत्ता होती है। यहां गणेश चतुर्थी पूजा के लिए आवश्यक सामग्रियों की एक विस्तृत सूची दी गई है:
1. मूर्ति या चित्र | भगवान गणेश की मिट्टी की मूर्ति या चित्र। |
2. आसन | भगवान गणेश को स्थापित करने के लिए एक साफ आसन या चौकी। |
3. कलश | तांबे या पीतल का कलश, जिसे पूजा के दौरान पानी से भरकर रखा जाता है। |
4. मंगल सूत्र | हल्दी, कुमकुम, चावल और पुष्पों से सजी माला। |
5. रोली और चंदन | रोली (कुमकुम) और चंदन से गणेश जी का तिलक करने के लिए। |
6. पुष्प और माला | भगवान गणेश को अर्पित करने के लिए विभिन्न प्रकार के फूल और माला। |
7. धूप और अगरबत्ती | पूजा के दौरान धूप और अगरबत्ती का उपयोग। |
8. दीपक और घी | एक दीपक, जिसे घी या तेल से जलाया जाता है। |
9. नैवेद्य | भगवान को भोग के लिए मोदक, लड्डू, फल, नारियल, पंचमेवा, और मिठाइयां। |
10. पंचामृत | दूध, दही, घी, शहद और चीनी का मिश्रण। |
11. सुपारी और पान के पत्ते | सुपारी और पान के पत्ते भगवान को अर्पित करने के लिए। |
12. जनेऊ | गणेश जी को अर्पित करने के लिए पवित्र धागा (जनेऊ)। |
13. चावल और अक्षत | पूजन के दौरान अक्षत (हल्दी से रंगे हुए चावल) का उपयोग। |
14. मौली | हाथ में बांधने के लिए पवित्र मौली (कलावा)। |
15. गंगाजल | मूर्ति का अभिषेक और शुद्धिकरण के लिए गंगाजल। |
16. सूखी मेहंदी और हल्दी | पूजा के दौरान भगवान गणेश को अर्पित करने के लिए। |
17. कपूर | आरती के समय जलाने के लिए कपूर। |
18. पानी से भरी हुई कांच की कटोरी | पूजा के दौरान उपयोग करने के लिए। |
19. दक्षिणा | पूजा के बाद ब्राह्मणों या दान के लिए। |
20. धनिया, गुड़ और वस्त्र | प्रसाद और गणेश जी को वस्त्र अर्पण करने के लिए। |
पूजा विधि का संक्षिप्त विवरण:
- सबसे पहले भगवान गणेश की मूर्ति को साफ और पवित्र स्थान पर स्थापित करें।
- कलश को जल से भरकर उसमें आम के पत्ते रखें।
- भगवान गणेश को फूल, माला और वस्त्र अर्पित करें।
- धूप, दीपक और अगरबत्ती जलाकर भगवान की आराधना करें।
- पंचामृत से भगवान गणेश का अभिषेक करें और नैवेद्य (भोग) अर्पित करें।
- अंत में कपूर से आरती करें और सभी को प्रसाद वितरित करें।
यह पूरी प्रक्रिया भगवान गणेश के प्रति भक्ति और श्रद्धा को प्रकट करती है। गणेश चतुर्थी के इस पावन अवसर पर, विधि-विधान से पूजा करके भगवान गणेश की कृपा प्राप्त की जा सकती है।
गणेश चतुर्थी 2024 पूजा के दौरान कुछ विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है जो भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। यहां कुछ प्रमुख गणेश मंत्र दिए जा रहे हैं:
1. गणपति अथर्वशीर्ष मंत्र
यह मंत्र भगवान गणेश की स्तुति के लिए अत्यधिक प्रभावी माना जाता है।
ॐ नमस्ते गणपतये।
त्वमेव प्रत्यक्षं तत्त्वमसि।
त्वमेव केवलं कर्तासि।
त्वमेव केवलं धर्तासि।
त्वमेव केवलं हर्तासि।
त्वमेव सर्वं खल्विदं ब्रह्मासि।
त्वं साक्षादात्मासि नित्यम्॥
2. वक्रतुण्ड महाकाय मंत्र
इस मंत्र का जाप सभी प्रकार की बाधाओं को दूर करने के लिए किया जाता है।
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
3. गणेश गायत्री मंत्र
यह मंत्र भगवान गणेश की बुद्धि, ज्ञान और समृद्धि के लिए जपा जाता है।
ॐ एकदन्ताय विद्महे,
वक्रतुण्डाय धीमहि।
तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥
4. ॐ गण गणपतये नमः
यह सरल और प्रभावी बीज मंत्र भगवान गणेश की आराधना के लिए जपा जाता है।
ॐ गण गणपतये नमः॥
5. गणेश पंचरत्न स्तोत्र
यह स्तोत्र आदि शंकराचार्य द्वारा रचित है और भगवान गणेश की स्तुति के लिए उपयुक्त है।
मुदाकरात्तमोदकं सदा विमुक्तिसाधकं
कलाधरावतंसकं विलासलोकरक्षकम्।
अनायकैकनायकं विनाशितेभदैत्यकं
नताशुभाशुनाशकं नमामि तं विनायकम्॥
6. गणेश चालीसा
गणेश चालीसा का पाठ भी गणेश चतुर्थी के दिन किया जा सकता है, जिससे भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
मंत्र जप विधि:
मंत्र जप के समय मन को एकाग्रचित्त रखें और भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र के सामने बैठकर धूप-दीप जलाएं।
मंत्रों का उच्चारण शुद्ध और स्पष्ट होना चाहिए।
जप की संख्या 108 होनी चाहिए, और इसके लिए आप माला का भी उपयोग कर सकते हैं।
जप के बाद भगवान गणेश से अपनी मनोकामनाओं की प्रार्थना करें और प्रसाद वितरित करें।
गणेश चतुर्थी के इस पावन अवसर पर इन मंत्रों का जाप करके भगवान गणेश की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
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